भारतीय संस्कृति में मकर संक्रांति एक प्रमुख और महत्वपूर्ण त्योहार है जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार जनवरी माह के मध्य में मनाया जाता है। ब सूर्य अपनी पवित्र मकर राशि में प्रवेश करता है। यह विशेष पर्व उत्तरी गोलार्ध के सूर्य की दिशा को सूचित करता है, जिसे 'उत्तरायण' कहा जाता है और शरद ऋतु का समापन होता है। इस अवसर पर, सूर्यदेव की मकर राशि में प्रवेश के साथ-साथ ऋतुओं का परिवर्तन होता है, जिससे बसंत ऋतु का आगमन होता है।
2024 में मकर संक्रांति की तारीख 15 जनवरी है। इस दिन का समय सुबह 2 बजकर 54 मिनट पर होगा, इस दिन सूर्यदेव का मकर राशि में प्रवेश होगा और सूर्य करीब एक महीने तक मकर राशि में रहेगा।। यह पर्व सूर्य पर आधारित पंचांग के अनुसार मनाया जाता है, जिससे इसका धार्मिक महत्त्व और महत्त्व बढ़ जाता है। इस महत्वपूर्ण दिन पर, सूर्यदेव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं। शनि देव मकर और कुंभ राशि के स्वामी होते हैं, जो पिता-पुत्र के अनोखे संबंध को दर्शाते हैं।
यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार नहीं, बल्कि सूर्य पर आधारित पंचांग के अनुसार मनाया जाता है।इस दिन के साथ शरद ऋतु का अंत होता है और बसंत का स्वागत किया जाता है। इस दिन धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से इसका बड़ा ही महत्व है, जो भारतीय परंपरा में गहरी भावनाओं और संस्कृति के साथ जुड़ा हुआ है।
15 जनवरी को होने जा रही मकर संक्रांति का त्योहार ज्योतिषविदों और पंचांग के अनुसार मनाया जाएगा। इस विशेष दिन को इसलिए महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इस दिन सूर्य देव प्रातः 02 बजकर 54 मिनट पर धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे, जिसे हम मकर संक्रांति के रूप में जानते हैं। यह विशेष समय और मुहूर्त है, जब सूर्य का यह परिवर्तन होगा।
मकर संक्रांति पुण्यकाल - प्रातः 07:15 मिनट से सायं 06: 21 मिनट तक
मकर संक्रांति महा पुण्यकाल -प्रातः 07:15 मिनट से प्रातः 09: 06 मिनट तक
इसे इतना महत्व क्यों दिया जाता है, इसकी विशेषता को समझने के लिए एक किस्से के माध्यम से हम इस त्योहार की महिमा को समझ सकते हैं। एक बार, युधिष्ठिर से यक्ष ने पूछा कि मृत्यु के समय सभी साथ छोड़ जाते हैं, तो सहायक कौन होता है? उसने जवाब दिया कि मृत्यु के समय साथी होता है 'दान', जो प्राप्ति के समय सबका साथ देता है।
यहाँ, दान की महिमा को समझने के लिए एक और प्रश्न है,
'श्रेष्ठ दान क्या है?'
जवाब में युधिष्ठिर ने कहा कि श्रेष्ठ दान वह है जो श्रेष्ठ मित्र की भूमिका निभा सके।
दान किसे दिया जाना चाहिए?
उत्तर में, युधिष्ठिर ने कहा कि दान उसे देना चाहिए जो प्राप्त दान को श्रेष्ठ कार्य में लगा सके, जिससे दान की शक्ति बढ़े।
इसी प्रकार अथर्ववेद में कहा गया है कि, सैकड़ों हाथों से कमाओं और हजारों हाथों से बांट दो. दान कई प्रकार के हो सकते हैं- अर्थ दान, विद्या दान, श्रम दान, ज्ञान दान, अंग दान, रक्त दान आदि. इनमें से हर एक की अपनी महत्ता है.
मकर संक्रांति पर दान करने के कई लाभ हैं। सबसे पहले, इस दिन दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। दूसरे, मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होते हैं। इस समय से दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं। इसलिए इस दिन दान करने से जीवन में सुख, समृद्धि और उन्नति आती है। तीसरे, मकर संक्रांति के दिन तिल का दान करने की विशेष महिमा है। तिल को शनिदेव का प्रतीक माना जाता है। शनिदेव न्याय के देवता हैं। तिल का दान करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और जीवन में शुभता आती है। चौथे, मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व है। गंगा को पवित्र नदी माना जाता है। गंगा स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। गंगा स्नान के बाद दान करने से पुण्य की प्राप्ति और जीवन में सुख-समृद्धि की वृद्धि होती है।
मकर संक्रांति पर दान करने के लिए कई चीजें हैं। जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:
निष्कर्ष
मकर संक्रांति पर दान करना एक बहुत ही पुण्य का कार्य है। इस दिन दान करने से हमें कई लाभ मिलते हैं। इसलिए सभी को इस दिन बढ़ चढ़कर दान करना चाहिए।
Powered by Bhaktimarg